Mp board class 11th Hindi varshik paper 2023 : कक्षा 11वीं हिंदी वार्षिक परीक्षा पेपर

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कक्षा 11वीं हिंदी वार्षिक परीक्षा पेपर 2023

पहला क्वेश्चन है कबीर को बाड़ी का किसने कहा महावीर प्रसाद द्विवेदी ने हजारी प्रसाद द्विवेदी ने राम चंद्र शुक्ला या फिर बालमुकुंद गुप्त ने तो अगर मैं इसके आंसर की बात करूँ आपको आन्सर 1007 में पत्रिका का प्रकाशन बर्फ़ यहाँ पे कौनसा है 1900, 1905, 1907 या फिर 1903 तो आपको देखिये राइटन सर अगर इसमें करे तो आपको राइट एन सर आपको नंबर 1900 करना है इसके बाद क्वेश्चन लिए तीसरा कुमार गंधर्व के अनुसार लता जी को लोकप्रियता के खानपान नया पान अपनापन पुरानापन ठीक है इसके बाद चौथा हिंदी का प्रथम साप्ताहिक पत्र था बंगाल गजट सरस्वती कर्मवीर तो आपको आन्सर या उदंड मानदंड करना है

प्र. उत्तर अन्त: वैयक्तिक संचार का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- जब हम अकेले में सोचते योजना बनाते किसी को याद करते हैं यानि संचारक और प्राप्तकर्ता एक

ही व्यक्ति होता है तो इसे अन्तवैयक्तिक संचार कहते है

पीत पत्रकारिता क्या है ?

  • पीत पत्रकारिता सनसनी फैलाने का काम करती है यह पत्रकारिता अमेरिका में 19 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में आईं थी समाचार पाठकों को आकर्षित करने की होड में पीत पत्रकारिता के तहत समाचार पत्र अफवाहों व्यक्तिगत आरोप प्रत्यारोपों प्रेम सम्बन्धों भंडाफोड और फिल्मी गपरात को समाचार की तरह प्रकाशित करते पाठकों है।

प्र.12 उदाहरण अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।

उत्तर- उदाहरण अलंकार:-जहां एक वाक्य कहकर उसके उदाहरण के रूप में दूसरा वाक्य कहा जाए

उदाहरण अलंकार होता है।

उदाहरण:-यों रहीम जस होता है उपकारी के संग बाँटन

वारे को लगे ‘ज्यों मेहंदी को रंग।

शान्त रस की परिभाषा उदाहरण सहित दीजिए।

उत्तर- शान्त रस :-इसका स्थायी भाव निर्वेद है। निर्वेद नामक स्थायी भाव,विभाव अनुभाव तथा संचारी भाव से शान्त रस की उत्पत्ति होती है।

उकवितदाहरण:- ” बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर?

पंथी को हाया नही, फल लागे अति दूर दूर।।

प्र.13 गजल किसे कहते है ? इसके लक्षण बताइए।

‌ अथवा

उत्तर:-आत्तर- गजल एक ऐसी विधि है जिसमें किसी बहर पर आधारित दो-दो लयात्मक पंक्तियों के विशेष कहने वाले पूर्वापर निरपेक्ष पाँच या अधिक युग्म होते हैजिनमें से पहले युग्म की दोनो पंक्तियाँ तुकान्त होती है जबक अन्य युग्मों की पहली पंक्ति तुकान्त तथा दूसरी पंक्त सम तुकान्त होती है।

कविता में बिम्बों का प्रयोग क्यों आवश्यक है ?

उत्तर:- कविता में बिम्ब हमें अपनी बात सरलता से और चिर परिचित ढंग से कहने में सहायक होते हैं।

प्र. 14 निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ बताते हुए वाक्य प्रयोग कीजिए –

उत्तर:- (1)अशिक्षित होना ।

प्रयोग :- मोहन की पत्नी तो काला अक्षर भैंस बराबर है

(2)आँखों का तारा होना।

प्रयोग :- बहुत प्यारा होना अन्नत अपने पिता की आँखो का तारा है

राजभाषा की विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर:- राजभाषा की विशेषताएँ:-

राजभाषा किसी भी देश के राजकीय काम-काज की भाषा’ होती है।

(2) राजभाषा की मान्यता मिलने से उस भाषा का महत्व अधिक बढ़ जाता है ।

प्र. 15 निर्देशानुसार वाक्य परिवर्तन कीजिए.

  1. स्नान करो, विद्यालय जाओ।
  2. दरिद्र होने पर भी वह ईमानदार जाओ।

उत्तर:- (1) स्नान करके विद्यालय जाओ।

निरर्थक शब्द-युग्म से आप क्या समझते हो ? उदाहरण बताइए।

उत्तर:- निरर्थक शब्द युग्म :- जब किसी शब्द युग्म में प्रयुक्त होने वाले दोनों शब्द निरर्थक हो अर्थात उनका कोई अर्थ न हो तो शब्दों के ऐसे युग्म को निरर्थक शब्द युग्म कहते हैं ।

उदाहरण:- अंट-शंट, चटर-पटर आदि।

प्र. 16 मीरा अथवा निर्मला पुतुल का काव्यगत परिचय निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर लिखिए-। (3)

  1. दो रचनाएँ 2. भाव पक्ष एंव कला पक्ष 3. साहित्य में स्थान |

उत्तर:- मीरा

रचनाएँ:- नरसी जी को माहेरी राग विहाग ।

भाव पक्ष :- मीरा बाई द्वारा रचित काव्य साहित्य में उनके मर्मस्पर्शिनी वेदना है प्रेम की आकुलता है भक्ति की तल्लीनता है उनके आराध्य तो सगुण साकार श्री कृष्णा है मीरा के बहुत से पदों में रहस्यवाद स्पष्ट दिखाई देता है

कला पक्ष :- मीरा की भाषा राजस्थानी और ब्रजभाषा है किंतु पदों की रचना ब्रजभाषा में ही है। मीरा ने मुक्तक शैली का प्रयोग किया है उनके पदो में योग्यता है

साहित्य में स्थान:- मीरा ने अपने हृदय में व्याप्त वेदना

और पीड़ा को बड़े ही मर्मित ढंग से प्रस्तुत किया है

निर्मला प्रतुल-

रचनाएँ:- बाँस बाघ एक बार फिर

भाव पक्ष:- निर्मला पुतुल आदिवासी जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं का कलात्मकता के साथ हमारा परिचय कराती है और सांथाली समाज के सकारात्मक और नकारात्मक दोनो पहलुओं को हमारे सामने रखती

हैं

कला पक्ष :- निर्मला पुतल की भाषा सरल,सहज एवं

प्रभावपूर्ण है प्रसादगुण युक्त शब्दावली पाठकों को सोचने पर विवरा कर देती है निर्मला पुतल की रचनाए

छंद बंधयुक्त है छंद मुक्त होते हुए भी भाषा का प्रवाह

दर्शनीय है

साहित्य में स्थान :- निर्मला पुतुल की प्राय: सभी कविताएँ पहले साँथाली मे लिखी तथा उसके पश्चात हिंदी में लिखी गई तथा उसके पश्चात हिन्दी में लिखी गई निर्मला पुतुल निश्चित ही साहित्यकोश में एक चमकता सितारा है।

प्र.17 प्रेमचंद अथवा मन्नू भंडारी का साहित्यक परिचय निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर लिखिए -। (3)

  1. दो रचनाएँ 2. भाषा-शैली 3. साहित्य में स्थान

उत्तर:- प्रेमचन्द्र

रचनाएँ :- गोदान गनन

भाषा:- प्रेमचन्द्र की भाषा कि भाषा के दो रूप है एक रूप तो जिसमें संस्कृत के तत्सम शब्दों की प्रधानता है

जैसे- तर्क के भ्रम को प्रष्ठ किया दूसरा जिसमें

ऊद उर्दू संस्कृत और हिन्दी के व्यावहारिक शब्दो का प्रयोग किया है जैसे- पीर का मजार प्रेमचन्द्र की भाषा चुलबली है

शैली:- प्रेमचन्द्र बेजोड शैली के रचियता थे –

(1) वर्णनात्मक शैली

(2) ‌ विवेचनात्मक शैली

(3) मनोवैज्ञानिक शैली

(4) ‌ भावात्मक शैली

(5) ‌ हास्य व्यंग्यात्मक शैली

साहित्य में स्थान :- प्रेमचन्द्र ने हिन्दी साहित्य में युगान्तकारी परिवर्तन किया उनका साहित्य देशभक्त और समाज के आगे मसाल दिखाती हुई सच्चाई है’

रचनाएँ :- में हार गई में हार गई आपका बंटी ।

भाषा :- मन्मु भण्डारी में ने स्वतंत्रता के बाद रचनाएँ लिखना आरम्भ किया इस कारण उनकी भाषा भी पातानुकूल तथा वातावरण के अनुसार है इनकी भाषा में मुहावरों तथा युग्म- शब्दो का प्रयोग भी देखने को मिलता है

शैली :- भन्नु भण्डारी की शैली निम्न है

(1) वर्णमात्मक शैली

(2) वार्तालाप शैली

(3) मुहावरेदार शैली

(4) व्यंग्यात्मक शैली

साहित्य में स्थान :- मन्नु भण्डारी को हिन्दी की श्रेष्ठ लेखिका होने का गौरव प्राप्त है देश के अनेक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचारों को दूर करने के लिए साहित्य के माध्यम से प्रेरणा दी

प्र.18 क्रिकेट खेलने के ऊपर दो मित्रों के मध्य सम्भावित संवाद लिखिए।

उत्तर:- अनिल-भाई, आज तो क्रिकेट खेलेंगे।

मुकेश – हाँ, भाई, मन तो मेरा भी क्रिकेट खेलने का है, पर खेलेंगे कहाँ ?

‘छात्र जीवन में अनुशासन’ विषय पर एक संक्षिप्त अनुच्छेद लिखिए ।

उत्तर:- छात्र जीवन और अनुशासन एक-दूसरे के पूरक हैं। यूँ कहें कि अनुशासन हीं विद्यार्थी जीवन की नींव है

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का बहुत महत्व है। अनुशासित विद्यार्थी ही सफलता की ऊँचाई को छूने में सफल होता है जो विद्यार्थी अपने जीवन में अनुशासन को नहीं अपनाता वह कभी भी सफल नहीं होता बल्कि अपने जीवन को ही बर्बाद कर लेता है बिना अनुसार के विद्यार्थी जीवन कटी-पतंग के समान होता है जिसका कोई लक्ष्य नहीं होता। जो विद्यार्थी अपने विद्यालय के प्रांगण में रहकर प्रतिक्षण अनुशासन का पालन करता है अपने शिक्षको का आदर करता है और इतना ही नहीं जीवन में हर पल नियम एवं अनुशासन में बंधकर चलता है; वह कदापि निष्फल नहीं हो सकता। सफलता उसके कदम अवश्य ही चूमती है। इसलिए विद्यार्थी को कभी भी अनुशासन भंग नहीं करना चाहिए बल्कि सदैव अनुशासन का पालन करना चाहिए। एक अनुशासित विद्यार्थी हो राष्ट्र का आदर्श नागरिक बनता है और देश

के चहुंमुखी विकास में अपना योगदान देता है।

अनिल- हमारे विद्यालय के मैदान में खेलेंगे।

मुकेश- यहाँ खेलने देंगे ? कोई रोकेगा तो नहीं।

अनिल-मैंने प्रधानाचार्य जी से अनुमति ले ली है।

मुकेश- तो तुम अपने छः साथियों को बुला लो बाकी तो यहाँ के हमारे साथी होंगे।

अनिल- शाम को चार बजे सभी इकट्ठे होकर चलेंगे।

मुकेश-क्रिकेट मेरा प्रिय खेल है।

अनिल-मैं भी अपने विद्यालय की क्रिकेट टीम का कप्तान हूँ। मुझे क्रिकेट से बहुत प्रेम है।

मुकेश- हमारे विद्यालय की क्रिकेट की टीम भी कम नहीं है मेरी कप्तानी में शिक्षा निकेतन की टीम को हरा चुके हैं।

अनिल- शिक्षा निकेतन के कई विद्यार्थी क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी हैं।

मुकेश- अच्छा भाई, शाम को चार बजे मैदान पर मिलते हैं। –

अनिल- हाँ भाई, आज मजा आ जाएगा।

प्र.19 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़ नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (3)

भारतीय संस्कृति में पर्वो का अत्यधिक महत्व है। पर्व किसी भी संस्कृति के वह अंग हैं, जिनके बिना वह संस्कृति अधूरी रह जाती है। पर्व हमें ऐसा अवकाश प्रदान करते है कि जब हम अपने जीवन के विषय में अच्छा सोच सकते है। जीवन प्रवाह को सही दिशा देने वाले पर्व ही होते हैं। जीवन व्यवहार की समस्त कटुताएँ भी पर्व के द्वारा ही समाप्त हो सकती हैं। पर्व जीवन में ऊर्जा उदीप्त करते हैं, रिश्तों में मधुर रस घोलते हैं, प्रेम और करुणा की सदीभावना जीवन में ऊर्जा उदीप्त करते है, ज्ञान, आचरण, विश्वास को परिमार्जित करने का प्रयास करते हैं। अतः सभी धार्मिक, राष्ट्रीय पर्वो को उल्लास के साथ मर्यादा में रहकर मनाना चाहिए ।

प्रश्न 1. जीवन प्रवाह को सही दिशा कौन देता है ?

  1. सभी पर्वो को उल्लास के साथ किस प्रकार मनाना चाहिए ?
  2. भारतीय संस्कृति में किसका अत्यधिक महत्व है ?

उत्तर:- भारतीय संस्कृति में पर्वो का अत्यधिक महत्त्व है। पर्व किसी भी संस्कृति के वह अंग है, जिनके बिना यह संस्कृति अधूरी रह जाती है। पर्व हमें ऐसा अवकाश प्रदान करते हैं कि जब हम अपने जीवन के विषय में अच्छा सोच सकते हैं। जीवन प्रवाह को सही दिशा देने वाले पर्व ही होते हैं। जीवन व्यवहार की समस्त कटुताएँ भी पर्व के द्वारा ही समाप्त हो सकती है। पर्व जीवन में ऊर्जा उदीप्त करते हैं, रिश्तों में मधुर रस घोलते हैं, प्रेम और करुणा की सद्भावना जीवन में नियोजित करते हैं, ज्ञान, आचरण, विश्वास को परिमार्जित करने का प्रयास करते हैं। अतः सभी धार्मिक, राष्ट्रीय पर्वो को उल्लास के साथ मर्यादा में रहकर मनाना चाहिए।

उत्तर:- (क) जीवन प्रवाह को सही दिशा कौन देता है ?

(ख) सभी पर्वो को उल्लास के साथ मर्यादा में रहकर मनाना चाहिए।

(ग) भारतीय संस्कृति में पर्वो का अत्यधिक महत्व है।

निम्नलिखित अपठित पद्यांश को पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए- निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल ।

बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटै न हिस को सूल ।।

इक भाषा एक जीव, इक मीत सब घर के लोग।

तवै बनत है सवन सौं, मिटत मुढ़ता सोग ।।

प्रश्न- (क) कवि के अनुसार मुढ़ता और शोक किस प्रकार मिटता है ?

(ख)उपर्युक्त पद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए ।

(ग) प्रस्तुत पद्यांश का भाव अपने शब्दों में लिखिए ।

उत्तर:- निज यानी अपनी भाषा से ही उन्नति संभव है, क्योंकि यही सारी उन्नतियों का मूलाधार है।

मातृभाषा के ज्ञान के बिना हृदय की पीड़ा का निवारण संभव नहीं है।

विभिन्न प्रकार की कलाएँ, असीमित शिक्षा तथा अनेक प्रकार का ज्ञान,

सभी देशों से जरूर लेने चाहिये, परन्तु उनका प्रचार मातृभाषा के द्वारा ही करना चाहिये।

उत्तर:- (क)जब सभी लोग एक ही भाषा एवं एक जैसी जीवन शैली एवं विचार अपनायेंगे, तभी उनकी मूढ़ता एवं शोक मिट सकेंगे।

उत्तर:- (क)गद्यांश का उचित शीर्षक – ‘ धर्म और

कानून’ ।

(ख) धर्मभीरू कानून की त्रुटियों का लाभ उठाते हैं।

(ग) मनुष्यों से प्रेम करना, महिलाओं का आदर करना, झूठ बोलने से बचना, चोरी न करना तथा दूसरों को न सताना आदि धार्मिक सदुपदेशों को लोग आज भी मानते हैं ।

उत्तर:- (ख) हमें जीवन में सभी कष्टों को सहने की क्षमता रखनी चाहिए और सभी के साथ मिलजुलकर रहना चाहिए।

प्रश्न 20 निम्नलिखित पद्याशं की प्रसंग-संदर्भ साहित व्याख्या कीजिए -। (4)

पाँव जो पीछे हटाता,

कोख को मेरी लजाता,

इस तरह होओ न कच्चे,

रो पड़ेंगे और बच्चे,

पिता जी ने कहा होगा,

हाय, कितना सहा होगा,

कहाँ, मैं रोता कहाँ हूँ,

धीर मैं खोता, कहाँ हूँ।

संदर्भ- पूर्ववत् ।

प्रसंग- प्रस्तुत पद्यांश में कारागार में बन्द कवि ने अपने माता-पिता के मध्य हुए काल्पनिक संवाद का बहुत सजीव एवं यथार्थ चित्रण किया है। अपेक्षाकृत कमजोर इरादों की समझे जाने वाली अनपढ़ माँ मजबूत व्यक्तित्व एवं साहस के धनी पिता को धैर्य न खोने की सलाह दे रही है।

भावार्थ- कवि के अनुसार उसकी माँ ने पूज्यनीय पिताजी को ढौंढ़स बँधाते हुए कहा होगा कि भवानी को याद करके क्यों दुखी होते हो। वह तो देश सेवा के मार्ग पर चलते हुए कारावास में गया है। इसलिए हमारे साथ नहीं है। यदि वह राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य-पय से पीछे हटता तो यह हम सभी के लिए और विशेषकर मेरे लिए अपमानजनक बात होती आप इस घर के मुखिया हो, यदि आप ही धीरता का दामन छोड़कर इस प्रकार कमजोर पड़ जाओगे तो बच्चों का क्या होगा। उन्हें भी अपने प्रिय भाई भवानी की याद आ रही होगी। आपको बिलखता देख वे सभी भी रो पड़ेंगे। इसलिए आप धीरज रखिए वह वहाँ ठीक प्रकार से होगा।

कवि माता-पिता के इस काल्पनिक संवाद को आगे बढ़ते हुए कहता है कि माँ के इस प्रकार समझाने पर पिताजी ने अपने आँसू छिपाते हुए और बात बदलते हुए किस प्रकार यह कहा होगा कि भला मैं रो कहाँ रहा हूँ। न ही मैं अपना धीरज खो रहा हूँ। मैं तो शान्त हूँ। कवि कल्पना करता है कि यह सब कहते हुए पिता के हृदय पर क्या बोली होगी। उन्होंने किस प्रकार उनका उनसे हृदय पर पत्थर रखकर यह बात माँ से कही होगी।

काव्य सौन्दर्य- (1) माँ-पिता के मध्य संवाद का सुन्दर सजीव चित्रण है।

(2) पाव पीछे हटाना’, ‘कोख लजाना” धीरज खोना आदि मुहावरों का उपयोग कथ्य को प्रवाह देता है।

(3) भाषा अत्यन्त सरल, सहज एवं भावाभिव्यक्ति में सहायक है

सबसे खतरनाक वह दिशा होती है।

जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए

और उसकी मुर्दा धूप का कोई टुकड़ा

आपके जिस्म के पूरब में चुभ जाए

मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती

पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती

गद्दारी-लोभ की मुट्टी सबसे खतरनाक नहीं होती।

संदर्भ- पूर्ववत् ।

प्रसंग–प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने आत्मा की आवाज को अनसुना करने की प्रवृत्ति को सबसे खतरनाक माना है।

भावार्थ-कवि उस दशा (स्थिति) को सबसे खतरनाक मानता है। जिसमें आत्म रूपी सूरज डूब जाता है। अर्थात् जहाँ आत्मा के प्रश्न बेमानी हो जाते हैं। जब लोग आत्मा के आवाज को अनसुना कर देते हैं तब ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है। कवि के अनुसार यदि आत्मा में धूप के किसी टुकड़े के समान आशा की कोई मंद (मुर्दा) किरण फूटती भी है । के मृतप्राय ही होती है। यह मृतप्राय किरण पूर्व दिशा रूपी अपने ही शरीर में चुभकर उसे लहूलुह करती रहती है। कवि का आशय यह है कि लोगों ने अन्याय को अपनी नियति मानकर उसे सहन करना सीख लिया है। इस प्रक्रिया में वह आत्मा में उठ रहे प्रश्नों के प्रति भी उनकी रहता है। सामाजिक विसंगतियों और ताओं को देखकर भी उसके मृत विचारों में गा प्रवाह नहीं होता है। प्रतिकूल स्थितियों के विरुद्ध यदि कहीं कोई विरोध को चिंगारी भी है तो वह भी स्वयं को ही कष्ट देकर फिर से दब जाती है। यह स्थिति सबसे खतरनाक है ‌।

3 अप्रैल वार्षिक परीक्षा पेपर 2023 कक्षा 11वीं हिंदी

इसके बाद कुछ देखिये लोग प्रचलित अथवा शब्द को आधारित शब्द के अर्थ का ज्ञान कौनसी सब शक्ति से होता है तो आपदा लक्षणा देखिये जब का लोक में आपका प्रश्न होता है ना तो आपके अभी अधिकांश क्या होता है यहाँ पे आपका आविदा होता है आपको याद करना है और इसके बाद वो है बहुत तेज़ दौड़ता है मैं बहुत कहा देखिये वो बहुत तेज़ दौड़ता है तो तेज आपका यहाँ पे क्या होगा विशेष होगा लेकिन विशेषकरके पहले आपका जो आता है एक और या विशेषण ठीक है

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आपको करना है इसके बाद क्वेश्चन देखिये वाले क्वेश्चन आता है आपका इसमें ऑप्शन देखिये क्या होता है होता है और सब का होता है जो आपका सब नाम के रूप में संख्या के सामने प्रयोग होता है और आपको उसकी जो आपका विशेष और बहुत होगा और इसके बाद देखिये वाले को दे पहला हुआ है जिसमें राज्य के संदेश प्रसारित होते हैं कहलाता है तो देखिये आप कभी कहलाएगा आप कभी राजभाषा कहलाएगा मोक्ष रखने वाला क्या होता है तो आप कहाँ पे मोकषा धायन सर आपको पे करना है उस का मूल कारण क्या है तो आपको विभव करना है अनुभव और विभाग का ऑप्शन दिए गए हैं इसके बाद देखिये -चित्रपट संगीत की विशेषता है गंभीरता और चपलता तो आपको इसमें राइट है स्मृति रोला को मिला महादेवी वर्मा का नहीं नहीं पत्ते ठीक है और

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