Eassy on achcha swasthya kyon jaruri hai nibandh

Eassy on achcha swasthya kyon jaruri hai nibandh|अच्छा स्वास्थ्य क्यों जरूरी है

achcha swasthya kyon jaruri hai par nibandh

इकाई -1
स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा

बच्चों में शरीरिक भावात्मक, संवेगात्मक एवं अध्यात्मिक स्वास्थ्य का विकास
प्रस्तावना स्वास्थ्य मनुष्य की सबसे अमूल्य संपत्ति है (Health is wealth) जो लोग अपने स्वास्थ्य के
प्रति सचेत होते हैं वे नीरोग रहते हैं तथा इसके विपरित जो लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत नहीं होते वे अपने स्वास्थ्य को खो देते हैं। पहले समय में स्वास्थ्य को शरीर का सही सलामत या निरोगी अवस्था होना ही माना जाता था।
स्वास्थ्य का अर्थ निरोग एवं प्रसन्नचित होना माना जाता था। एक आम धारणा होती थी कि स्वास्थ्य
बीमारी का अभाव है, लोग हृष्ट-पुष्ट शरीर को स्वस्थ मानते थे और यह शरीर के अंगों (Organs) एवं
विभिन्न संस्थानों (Systems) की सामान्य रूप से कार्य करने की स्थिति है, परन्तु बदलते समय के अनुसार स्वास्थ्य का अर्थ और भी व्यापक होता चला गया। मनोवैज्ञानिकों ने मानव व्यक्ति के तीन मुख्य आधार माने है।
(i) शरीर (Body)
(ii) मन (Mind)
(iii) आत्मा (Soul)

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मानव एक समाजिक प्राणी है तथा समाज की एक अभिन्न इकाई है। अतः उसे स्वस्थ तभी माना
जा सकता है जब उसका शरीर, मन और आत्मा पूर्णतया स्वस्थ हो और इसके साथ उसमें सभी प्रकार के समाजिक गुणों का समावेश हो।
सम्पूर्ण स्वास्थ्य वह अवस्था है जो कि मनुष्य को अपना जीवन हर प्रकार से भरपूर तरीके से जीने
के योग्य बनाती है। स्वास्थ्य वह शारीरिक, भावात्मक, संवेगात्मक तथा अध्यात्मिक योग्यता है जो हमारे शरीर को लगातार बदलते हालातों के अनुसार ढालने के योग्य बनाती है और जिसका उपयोग शरीर को और अधिक सुदृढ़ बनाने, थकावट का मुकाबला करने की क्षमता विकसित करने के लिए किया जाता है।

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स्वास्थ्य का ज्ञान रखने वाले धीरे धीरे इस धारणा को अब त्यागते जा रहे है कि स्वास्थ्य सिर्फ बीमारियों का इलाज या इनकी रोकथाम तक ही सीमित है। उनका स्वास्थ्य के प्रति जो संकल्प अब है उसमें इस बात पर जोर. दिया जाता है कि अपने स्वास्थ्य एवं कुशलक्षेम (Health and Well&being) का ध्यान रखना व्यक्ति की अपनी जिम्मेदारी है क्योंकि भगवान ने हमें एकमात्र शरीर दिया है और इसकी देखभाल करना बहुत जरूरी है। (We have only one body and it must be cared lovingly) जीवन में शिक्षा, खुशी, सम्पन्नता, सफलता आदि को प्राप्त करने तथा एक अच्छा नागरिक बनने के लिए अच्छा स्वास्थ्य बुनियादी आवश्यकता है। स्वास्थ्य का तात्पर्य शरीर की उस अवस्था से है जिसमें शरीर के सभी अंग-प्रत्यंग, मन और बुद्धि प्राकृतिक रूप से कार्य करें। उनमें आपसी तालमेल हो और जिससे मनुष्य अपने आप को शारीरिक और मानसिक कार्य
करने के लिए सक्षम समझें।

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शरीर और मन का अटूट संबंध है। स्वस्थ शरीर के साथ-साथ मानसिक व भावात्मक स्वास्थ्य भी
आवश्यक है।
डी.एल.एड. (द्वितीय वर्ष)
1.1.1 स्वास्थ्य की परिभाषाएँ (Definitions of Health)
1. विश्व स्वास्थ्य संगठन (W-H-O-1997) के अनुसार, स्वास्थ्य केवल रोग अथवा असमर्थता या
अपंगता की अनुपस्थिति ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण शारीरिक, मानसिक तथा समाजिक सम्पन्नता
की स्थिति है।
“Health is a state of complete physical] mental and social well being and not
merely the absence of disease or infirmity-“
2. जे. एफ. विलियम (J-F- Williams ) के शब्दों में,
“स्वास्थ्य जीवन का वह गुण है जिसके द्वारा हम अच्छे से अच्छा जीवन व्यतीत कर सकें
तथा दूसरों के अधिक से अधिक काम आ सकें।
“Health is that quality of life which enables a person to live most and serve best”

3. वॉल्टमर एवं इसलिंगर (Voltmer and Esslinger) के शब्दों में स्वास्थ्य वह मानसिक एवं
शारीरिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति अपने शरीर के विभिन्न अवयवों का आंतारिक रूप से तथा
अपने वातावरण से बाहा रूप से पूर्ण सांमजस्य स्थापित कर सके।
“Heath is considered as that condition) mental and physical, in which the indi-
vidual is functionally well adjusted internally as concerns all body parts and exter-
nally as concern his environment”
4. ओबर टयुफर के अनुसार, स्वास्थ्य वह अवस्था है जिसमें व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुरूप कार्य
करने में सक्षम होता है।”
5. डॉ. थॉमस वुड का कहना स्वास्थ्य उन सभी अनुभवों का योग है जो हमारे जीवन सभी
पक्षों को प्रभावित करते है।”
1.1.2 स्वास्थ्य के पक्ष (Aspects of Health)
स्वास्थ्य के विभिन्न पक्ष है जैसे शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक स्वास्थ्य, भावात्मक
स्वास्थ्य तथा आध्यात्मिक स्वास्थ्य स्वास्थ्य के ये सभी पक्ष एक दूसरे पर निर्भर होते है। जब भी हम सम्पूर्ण स्वास्थ्य के बारे में बात करते है तो स्वास्थ्य के इन समग्र पक्षों के बिना स्वास्थ्य का अर्थ अधूरा ही माना जायेगा। स्वास्थ्य के इन विभिन्न पक्षों का संक्षित विवरण निम्नलिखित है
1. शारीरिक पक्ष (Physical Aspect):
शारीरिक पक्ष का संबंध शरीर के बाहरी व
आंतरिक तौर पर सम्पूर्णता के साथ काम करने से
है। शारीरिक पक्ष से अभिप्राय है शारीरिक प्रणालियों
व अंगों का ठीक एवं सुचारू ढंग से कार्य करना
तथा व्यक्ति का निरोग एवं हृष्टपुष्ट होना। इसके
अलावा दैनिक जीवन के कार्यों के कार्यों को सुचारू
रूप से करने के लिए शारीरिक योग्यता का होना भी
बहुत जरूरी है। शारीरिक स्वस्थता व्यक्ति को अच्छी
तरह से जीवनयापन करने कार्य करने और उसमें
आनन्द लेने तथा सेवा कार्य करने योग्य बनाती है।

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