akka mahadevi jivan Parichay pdf

akka mahadevi jivan Parichay pdf| अक्क महादेवी का जीवन परिचय

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Akka jeevan parichay PDF-बारहवीं शताब्दी की प्रख्यात कन्नड़ कवयित्री अक्क महादेवी एक परम शिव भक्त थीं। पिता निर्मल शेट्टी और माता सुमति की सुपुत्री महादेवी जी का जन्म कर्नाटक के शिमोगा जिले के शिकारिपुर तालुक के गाँव उद्दुतरी में सन् 1130 ई. में हुआ था। इनके माता-पिता शिवभक्त थे। 10 वर्ष की अल्पायु में ही महादेवी ने शिवमंत्र की दीक्षा प्राप्त कर ली थी। इन्होंने भगवान शिव को ही अपना पति माना। उत्तर भारत की भक्तिमति मीराबाई के कृष्ण प्रेम के समान ही महादेवी जी की भगवान शिव में प्रीति थी।

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अक्क महादेवी का जीवन परिचय

● रचनाएँ
अक्क महादेवी एक महान कन्नड़ कवयित्री हुई हैं। इनकी कविताएँ भगवान चेन्नमल्लिकार्जुन से प्रेम व आध्यात्मिक कल्याण पर रचित हैं। इन्होंने अपनी कविताओं को ‘वचनों’ के रूप में लिखा जिसकी सरल भाषा और विचारों की गहनशीलता से आज भी लोग
लाभान्वित हो रहे हैं। इन्होंने कुल 430 वचनों को लिखा है जिनका कन्नड़ साहित्य में विशेष महत्व माना जाता है। इनकी रचनाएँ कन्नड़ भाषा में हैं जो कुछ साहित्यकारों द्वारा अन्य भाषाओं में अनुवादित हैं। इनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
(1) वचन सौरभ-हिन्दी भाषा में अनुवादित कुल 430 वचनों का संग्रह।
(2) स्पीकिंग ऑफ शिवा- ए. के. रामानुजन द्वारा अंग्रेजी भाषा में सम्पादित।
(3) वचनों के अतिरिक्त अक्क महादेवी जी ने कुछ लघु कृतियाँ भी लिखी हैं,
जैसे-योगांग त्रिविधि, स्वर वचन, मंत्र गोज्य, सृष्टि के वचन इत्यादि।
● भाव पक्ष
(1) भक्ति आन्दोलन की प्रसारक- भक्ति आन्दोलन के प्रसार में उत्तर-दक्षिण की अनेक महिला भक्त कवियों ने अपना अमूल्य योगदान दिया है जिसमें गंगाबाई, मीराबाई, जनाबाई, आण्डाल, ललाद तथा अक्क महादेवी प्रमुख हैं।
(2) पितृसत्ता का विरोध-अक्क महादेवी ने अपने कृतित्व के माध्यम से धर्म, जाति, वर्ग इत्यादि रूड़ियों के साथ-साथ समाज में गहरी जड़ जमाये पितृसत्ता के संरचनात्मक स्वरूप पर भी प्रश्नचिह्न लगाया एवं अपने व्यक्तिगत जीवन में इन सारी परम्पराओं को काफी हद तक खण्डित किया।
(3) महान शिव भक्त-अक्क महादेवी के इष्टदेव भगवान शिव थे जिन्हें वे ‘चेन्नमल्लिकार्जुन’ के नाम से सम्बोधित करती थीं तथा स्वयं को उनके समक्ष चम्पा के सफेद
पुष्पों के समान पवित्र स्त्री के रूप में प्रस्तुत करती थीं।
अक्क महादेवी के पदों में अपने आराध्य देव के प्रति नैतिकता का जो बोध था वह तत्कालीन सामाजिक व्यवस्था के विपरीत था। अक्क महादेवी में अन्य स्त्रियों की भाँति अपनी आकांक्षाओं को नियंत्रित करने के स्थान पर उन्हें अपने आराध्य के समक्ष प्रस्तुत करने की
प्रवृत्ति थी। उनके काव्यों में कामोचेतना को उदत करने वाले सारे तत्व मौजूद है।
● कला पक्ष
(1) भाषा-अक्क महादेवी की मातृभाषा कन्नड़ थी। उन्होंने इसी भाषा में अपने साहित्य का सृजन किया। समय-समय पर अनेक कवियों/लेखकों ने उनके साहित्य का अन्य भाषाओं में अनुवाद किया है। उनकी भाषा सरल, सहज एवं सुग्राह्य थी। अक्क महादेवी की
भाषा शुद्ध साहित्यिक भाषा न होकर जनभाषा ही रही।
(2) छन्द-इनकी अधिकतर काव्य रचनाएँ छन्द-बंधन से मुक्त हैं।
(3) शैली- अक्क महादेवी ने गेय शैली में काव्य रचना की है। भाव सम्प्रेषणता अक्क
महादेवी की गीति शैली की प्रमुख विशेषता है।
(4) अलंकार-काव्य में भाषा के स्थान पर भाव प्रधान होने के कारण अलंकारों का
उपयोग यदा-कदा ही देखने को मिलता है।

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● साहित्य में स्थान
अक्क महादेवी ने अपने काव्य के माध्यम से तत्कालीन सामाजिक व्यवस्था में विद्यमान अनेक विसंगतियों के प्रति अपना विरोध प्रकट किया है। धर्म और यौनता तथा धर्म एवं जाति के प्रश्नों पर भी अक्क महादेवी ने अत्यन्त आक्रामक तेवर दिखाया है। अक्क महादेवी ने उन समस्त सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिस्थितियों के मध्य अपने लिए एक महत्वपूर्ण भूमि तैयार की। एक भक्त कवि के रूप में आप कन्नड़ साहित्य में अत्यन्त लोकप्रिय एवं प्रसिद्ध हुई।

FAQ on akka mahadevi ji ka jeevan parichay Pdf

अक्क महादेवी का जन्म कब हुआ था

महादेवी जी का जन्म कर्नाटक के शिमोगा जिले के शिकारिपुर तालुक के गाँव उद्दुतरी में सन् 1130 ई. में हुआ था।

अक्क महादेवी जी की रचनाओं के नाम

वचन सौरभ-हिन्दी भाषा में अनुवादित कुल 430 वचनों का संग्रह।(2) स्पीकिंग ऑफ शिवा- ए. के. रामानुजन द्वारा अंग्रेजी भाषा में सम्पादित।(3) वचनों के अतिरिक्त अक्क महादेवी जी ने कुछ लघु कृतियाँ भी लिखी हैं,

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