Biharilal jivan parichay in hindi PDF|बिहारीलाल का जीवन परिचय
Bihari lal ka jeevan parichay class 12 hindi-आप सभी का स्वागत है हमारे वेबसाइट मे और आज के इस पोस्ट में कवि बिहारी लाल का जीवन परिचय के बारे में जानकारी प्राप्त करेगे
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कवि परिचय
जीवन परिचय-बिहारीलाल
महाकवि बिहारीलाल का जन्म 1603 के लगभग ग्वालियर में हुआ। उनके पिता का नाम केशवराय था व वे माथुर चौबे जाति से संबंध रखते थे। बिहारी का बचपन बुंदेल खंड में बीता और युवावस्था ससुराल मथुरा व्यतीत की। उनके एक दोहे से उनके बाल्यकाल व यौवनकाल का मान्य प्रमाण मिलता है: जनम ग्वालियर जानिए खंड बुंदेले बाल। तरुनाई आई सुघर मथुरा बसि ससुराल ।। कहा जाता है कि जयपुर-नरेश मिर्जा राजा जयसिंह अपनी नयी रानी के प्रेम में इतने डूबे रहते थे कि वे महल से बाहर भी नहीं निकलते थे और राज-काज. की ओर कोई ध्यान नहीं देते थे।
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काव्यगत विशेषताएँ-
मंत्री आदि लोग इससे बड़े चिंतित थे, किंतु राजा से कुछ कहने को शक्ति किसी में न थी। बिहारी ने यह कार्य अपने. ऊपर लिया। उन्होंने निम्नलिखित दोहा किसी प्रकार राजा के पास पहुंचाया:नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास यहि काल। अली कली ही सा बिंध्यों, आगे कौन हवाल ||
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रचनाएँ-इस दोहे ने राजा पर मंत्र जैसा कार्य किया। वे रानी के प्रेम-पाश से मुक्त होकर पुनः अपना राज-काज संभालने लगे। वे बिहारी की काव्य कुशलता से. इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने बिहारी से और भी दोहे रचने के लिए कहा और प्रति दोहे पर एक अशर्फ़ी देने का वचन दिया। बिहारी जयपुर नरेश के दरबार में रहकर काव्य-रचना करने लगे, वहां उन्हें पर्याप्त धन और यश मिला। 1664 में वहीं रहते उनकी मृत्यु हो गई।