Sent up exam class 10th science matric answer key 2022 pdf | Bseb 10 class science matric sent up exam paper 2023
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Subjective and objective Questions
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Science (विज्ञान ) answer key
Bihar Board Matric Sent Up Exam 2023 SCIENCE (विज्ञान)
Subjective Questions
(Q. 1) उत्तर- उत्तल
को अभिसारी लेंस इसलिये कहा जाता है,
क्योंकि यह लेंस अपने माध्यम से गुजरने वाली प्रकाश की किरणों को भसारित कर देता है। उत्तल लेंस का प्रयोग
सामान्य छवियों को छोटा करके देखने में प्रयुक्त होता है।
खण्ड – ब ( विषयनिष्ठ प्रश्न)
भौतिकी I/PHYSICS
उत्तर- जब प्रकाश किसी ऐसे माध्यम से गुजरता है, जिसमें
धूल तथा अन्य पदार्थो के अत्यन्त सूक्ष्म कण होते हैं, तो इनके
द्वारा प्रकाश सभी दिशाओं में (कुछ दिशाओं में कम तथा कुछ में
अधिक) प्रसारित हो जाता | इस घटना को प्रकाश का
प्रकीर्णन कहते है।
(Q.3) उत्तर-
जब एक चुम्बक और एक कुण्डली हे मध्य आपेक्षिक गति होती है
तो उस कुण्डली में विद्युत वाहक वस उत्पन्न हो जाता है जिसे प्रेरित विद्युत
वाहक बल कहते हैं।
यदि कुण्डली बन्द है तो उसमें विद्युत धारा प्रवाहित होने लगती
है प्रेरित विद्युत धारा कहते हैं। यह घटना विद्युत चुम्बकीय प्रेरण कहलाती
है।
( Q. 5) – उत्तर – पवन ऊर्जा के लाभ-
पवन ऊर्जा नविकरणीय और टिकाऊ है
यह पर्यावरण के लिए अच्छा है।
यह जीवाश्म ईंधन की खपत को
पवन टर्बाइनों को छोटे जगह
श्यकता होती है।
औद्योगिक और घरेलू पवन बाइन दोनों उपलब्ध हैं।
पवन ऊर्जा दूर स्थानों
ऊर्जा प्रदान कर सकती है।
उत्तरीय प्रश्न
(Q.9) उत्तर-
रंगीन पट्टी
इस प्रकार
प्राप्त होती
है- बैगनी,
वर्ण
विशेषण के फलस्वरूप पर्दा पर सात रंगों की एक
है, जिसे स्पेक्ट्रम कहते हैं। स्पेक्ट्रम पर प्राप्त रंगों का क्रम
जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी एवं लाल।
फ्रिज्म
स्पेक्ट्रम
(वर्णपट)
स्पेक्ट्रम मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं-(A) शुद्ध वर्णपटू तथा (B) अशुद्ध
वर्णपट्ट
सूर्य का प्रकाश सात रंगों का मिश्रण है। इसको दर्शाने के लिए एक क्राउन ग्लास
का प्रिज्म लेते हैं उसको सूर्य की ओर उस ढंग से व्यवस्थित करते हैं कि दूसरी ओर पटल
पर किरणें विच्छेदित होकर पड़े पर्दे पर सात रंग की पट्टी स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ती है।
इससे प्रमाणित होता है कि सूर्य सात रंगों का सम्मिश्रण है। यह रंग बैंगनी, नीला, आसमानी,
हरा, पीला, नारंगी, लाल हैं।
रसायन शास्I/CHEMISTRY
लघु उत्तरीय प्रश्न
(Q.12) उत्तर-
11
उत्तर पेन्टेन के लिए तीन संरचनात्मक समावयवों का चित्रण किया जा सकता
HHHHH
III
H-C
C-H
HHHHH
(i) नार्मल पेन्टेन
H
H-C-H
H
H-C-
H
H
HHHH
H-C-C-C-C-H
HH
पूसा अम्ल जैसे स्टीयरीक अम्ल, पार्मूिटिक अम्ल, ओलिङ्क अम्ल
इत्यादि सोडियम या पोटेशियम लवण को साबुन कहते है )
(1) सोडियम पामिटेट
उदा
↓
(Q. 17) उत्तर- सोडियम अत्यंत अभिक्रियाशील है। यह सामान्य
ताप पर भी नमी तथा ऑक्सीजन के साथ तेजी से अभिक्रिया
करती है। किन्तु यह किरोसिन के साथ न तो कोई अभिक्रिया
करती है और न ही इसमें घुलती है। अतः सोडियम को वायु और
नमी से बचाने के लिए किरोसिन तेल में डुबो कर रखा जाता है।
(Q.18) उत्तर – एक खनिज एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने
वाला अकार्बनिक तत्व या यौगिक है जिसमें एक व्यवस्थित
आंतरिक संरचना और विशिष्ट रासायनिक संरचना, क्रिस्टल
रूप और भौतिक गुण होते हैं। सामान्य खनिजों में क्वार्टज,
फेल्डस्पार, अभ्रक, उभयचर, ओलिविन और कैल्साइट शामिल हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
(Q. 20) उत्तर- जल जीवजंतु एवं पेड़-पौधों के जीवन
पीने
का मुख्य आधार है। इसके
अभाव में जीवन संभव नहीं है। इसी कारण जल को जीवन (essence of life) कहते हैं। हमारे
दैनिक कार्य जैसे-स्नान, बरतन, कपड़े धोने व तथा जन पकाने, जल के उपयोग के साथ ही
प्रारंभ होते हैं। हमारे शरीर की विभिन्न क्रियाएँ, रोजन का पचना, रक्त संचार, मलोत्सर्ग आदि ल
की सहायता से ही पूरी होती है। पेड़-पौधों के उ में जल बीजों के अंकुरण से लेकर उनकी वृद्धि
तक में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता
कारण जल का उपयोग सिंचाई, जल
के लिए किया जाता
इसके अलावा आधुनिक समय में तकनीकी विकास के
उत्पादन, मत्स्य पालन, जल यातायात तथा उद्योग आदि
माँग में काफी वृद्धि हुई है, परंतु उसकी उपलब्धता में कमी
रहा है। जल
आई है।
जल की उपलब्धता में,
मुख्य कारण उसके संरक्षण एवं प्रबंधन की उचित व्यवस्था का
अभाव है। अतः, जल संसाधन का उपयोग सुनियोजित ढंग से करके तथा जलस्रोतों का उचित प्रबंधन
करके हम जल प्रणाली का संरक्षण कर सकते हैं। प्राचीन काल से ही मनुष्य पीने तथा सिंचाई के
लिए जल भंडार (बाँध), तालाब व बावड़ी बनाता आ रहा है। भूमिगत जल स्तर बनाए रखने के लिए
मानव छोटे-छोटे मिट्टी के बाँध बनाकर खाई बनाकर बालू एवं संगमरमर से जलाशय बनाकर तथा
मकान के छत पर जल-संचयन तंत्र लगाकर जल का संचयन करते आ रहा है। घरों में जल संरक्षण
के बड़े सचेष्ट प्रयास किए जाते थे तथा उसके दुरूपयोग को रोका जाता था। आज भी जल संचयन
की प्राचीन पद्धति को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। साथ ही, कृषि के प्रसार और हरित क्रांति
के लिए बड़े-बड़े बाँध बनाने की भी आवश्यकता है। सिंचाई के लिए बाँध के जल को नहर द्वारा दूर-
दूर तक ले जाया जाता है। बाँध चाई के लिए जल की उपलब्धता को ही बरकरार नहीं रखता बल्कि
इससे बिजली भी उत्पन्न की जाती है। बाँध के जल का वितरण समता एवं न्यायपूर्ण तरीके से करने
की व्यवस्था सुनिश्चित करने की आवश्यकता है ताकि इसका लाभ सभी वर्ग के लोगों को समान रूप
से मिल सके।
(Q.21) उत्तर –
|
जीव विज्ञान / BIOLOGY
लघु उत्तरीय प्रश्न
पर्यावरण मुख्यतः
जीव
हमारे आस पास का परिवेश जिसमे
| जन्तु तथा सभी जैविक प्राणी, पेड़ पौधे नदी, तला
पर्वत पहाड़ तथा वायुमण्डल अन्य सभी प्राकृति
संसाधनों का सम्मलित रूप ही पर्यावरण हैं।
(Q.23) उत्तर.
• उत्तर-DNA आनुवंशिकता का औ
(i) इसमें द्विगुणन की क्षमता होती
(ii) यह सभी कोशिकाओं में पाया जाता है।
(iii) DNA की अनुकृति
iv) DNA का द्विगुणन
(v) यदि DNA
उत्परिवर्तन
(vi) DNA (
(Q.25) उत्तर
जीव या
।
मूल DNA अणु की तरह ही होती है।
कोशिका विभाजन से पहले हो जाता
रचना में परिवर्तन हो जाय तो जीव के शरीर में
लक्षण दिखाई देंगे।
वयं एक आनुवंशिक पदार्थ है।
जीव भोजन के लिए सीधे या परोक्ष रूप से अन्य
पर आश्रित रहते हैं, उन्हें उपभोक्ता कहते हैं।
( Q. 27 ) उत्तर- निम्नलिखित मुख्य बातों को ध्यान में रखकर तद्नुसार
अमल करने से पर्यावरण की सुरक्षा संभव है।
(i) ऊर्जा के वैकल्पिक साधनों का उपयोग, जैसे वायु, सोलर और थर्मल
ऊर्जा।
(ii) प्राकृतिक संसाधनों का न्यायपूर्ण एवं सीमित दोहन
(iii) जंगलों की कटाई पर रोक और वनरोपण को बढ़ावा देकर
(iv) हानिकारक रसायनों एवं उर्वरकों का सीमित उपयोगा
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
(Q.30) उत्तर- विशेष परिस्थिति जैसे- संक्रमण, मधुमेह, सामान्य से अधिक उच्च
रक्तचाप या किसी प्रकार के चोट के कारण वृक्क क्षतिग्रस्त होकर अपना कार्य करना बन्द
कर देते हैं। क्षतिग्रस्त वृक्क के कार्य न करने की स्थिति में शरीर में आवश्यकता से अधिक
मात्रा में जल, खनिज या यूरिया जैसे जहरीले विकार एकत्रित होने लगते हैं जिससे रोगी की
मृत्यु हो सकती है। ऐसी स्थिति में वृक्क का कार्य अतिविकसित मशीन के इस्तेमाल से
सम्पादित कराया जाता है। इसे डायलिसिस मशीन कृत्रिम वृक्क कहते हैं। यह मशीन
वृक्क की तरह ही कार्य करता है। इस मशीन में एक टंकी होता है जो डायला
है। इसमें डायलिसिस फ्लूयूइड नामक तरल पदार्थ भरा होता है। इस
जर कहलाता
तरल पदार्थ में सेलोफेन
से बनी एक बेलनाकार रचना लटकती रहती है। यह आंशिक रूप से पारगम्य होता है। यह
केवल विलय का ही विसरण होने देता है। डायलिसिस फ्लूइड की सान्द्रता सामान्य ऊत्तक द्रव
जैसी होती है। परंतु, इसमें नाइट्रोजनी विकार तथा लवण की अत्यधिक मात्रा नहीं होती है।
डायलिसिस के समय रोगी के शरीर का रक्त एक
उसे C तक ठंडा किया जाता है। इस रक्त
तरल अवस्था में ही रखा जाता है। इस रक्त
भेजा जाता है। यहाँ रक्त से नाइट्रोजनी
धमनी
द्वारा निकालकर
शष्ट प्रतिस्पंदक से उपचारित कर
एक पम्प की सहायता से डायलाइजर में
विसरित होकर डायलिसिस फ्लूइड में चला
जाता है। इस तरह शुद्ध किये गये रक्त के पुनः शरीर के तापक्रम पर लाया जाता है। पुनः
इस रक्त को पम्प की मदद से एक शिरा के द्वारा रोगी के शरीर में वापस पहुँचा दिया
जाता है। रक्त के शुद्धिकरण
शुद्धिकरण का यह एक विकसित तकनीक है।
यह क्रिया हिमोडायलिसिस कहलाता है। रक्त के