Mahadevi Verma ji ka jivan Parichay in hindi PDF

Mahadevi Verma ji ka jivan Parichay in hindi PDF|महादेवी वर्मा का जीवन परिचय

Mahadevi ji ka jivan Parichay in hindi PDF

महादेवी वर्मा
महादेवी वर्मा जीवन परिचय-
श्रीमती महादेवी वर्मा का जन्म फ़रुखाबाद ( उ०प्र०) में 1907 ई० में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा इंदौर के मिशन स्कूल में हुई थी। नौ वर्ष की आयु में
इनका विवाह हो गया था। परंतु इनका अध्ययन चलता रहा। 1929 ई० में इन्होंने बौद्ध भिक्षुणी बनना चाहा, परंतु महात्मा गांधी के संपर्क में आने पर ये समाज सेवा की ओर उन्मुख हो गई। 1932 ई० में इन्होंने इलाहाबाद से संस्कृत में एम०ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की और प्रयाग महिला विद्यापीठ की स्थापना करके उसकी प्रधानाचार्या के रूप में कार्य करने लगीं।

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मासिक पत्रिका ‘चाँद’ का भी इन्होंने कुछ समय तक संपादन कार्य किया। इनका कर्मक्षेत्र बहुमुखी रहा है।
इन्हें 1952 ई० में उत्तर प्रदेश की विधान परिषद का सदस्य मनोनीत किया गया। 1954 ई० में ये साहित्य अकादमी की संस्थापक सदस्या बनीं। 1960 ई०
में इन्हें प्रयाग महिला विद्यापीठ का कुलपति बनाया गया। इनके व्यापक शैक्षिक, साहित्यिक और सामाजिक कार्यों के लिए भारत सरकार ने 1956 ई० में इन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया। 1983 ई० में ‘यामा’ कृति पर इन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ने भी इन्हें ‘भारत-भारती’ पुरस्कार से सम्मानित किया| सन 1987 में इनकी मृत्यु हो गई।

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Mahadevi Verma jeevan Parichay do rachanaye

रचनाएँ –
इनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
काव्य संग्रह नीहार, रश्मि, नीरजा, यामा, दीपशिखा
संस्मरण अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएँ पथ के साथी, मेरा परिवार।
निबंध-संग्रह श्रृंखला की कड़ियाँ आपदा, संकल्पिता, भारतीय संस्कृति के स्वर

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साहित्यिक विशेषताएँ –
साहित्य सेविका और समाज सेविका दोनों रूपों में महादेवी वर्मा की प्रतिष्ठा रही है। महात्मा गाँधी की दिखाई राह पर अपना जीवन समर्पित करके इन्होंने शिक्षा और समाज कल्याण के क्षेत्र में निरंतर कार्य किया। ये बहुमुखी प्रतिभा की धनी थीं। ये छायावाद के चार स्तंभों में से एक हैं। इनकी चर्चा निबंधों और
संस्मरणात्मक रेखाचित्रों के कारण एक अप्रतिम गद्यकार के रूप में भी होती है। कविताओं में ये अपनी आंतरिक वेदना और पीड़ा को व्यक्त करती हुई इस
लोक से परे किसी और सत्ता की ओर अभिमुख दिखाई पड़ती हैं, तो गद्य में इनका गहरा सामाजिक सरोकार स्थान पाता है। इनकी श्रृंखला की कड़ियाँ कृति
एक अद्वतीय रचना है जो हिंदी में स्त्री-विमर्श की भव्य प्रस्तावना है।

इनके संस्मरणात्मक रेखाचित्र अपने आस-पास के ऐसे चरित्रों और प्रसंगों को लेकर लिखे गए हैं जिनकी ओर साधारणतया हमारा ध्यान नहीं खिच पाता। महादेवी
जी की मर्मभेदी व करुणामयी दृष्टि उन चरित्रों की साधारणता में असाधारण तत्वों का संधान करती है। इस तरह इन्होंने समाज के शोषित पीड़ित तबके को
अपने साहित्य में नायकत्व प्रदान किया है

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भाषा-शैली –
लेखिका ने अंतर्मन की अनुभूतियों का अंकन अत्यंत मार्मिकता से किया है। इनकी भाषा में बनावटीपन नहीं है। इनकी भाषा में संस्कृतनिष्ठ शब्दों की प्रमुखता है। इनके गद्य साहित्य में भावनात्मक, संस्मरणात्मक, समीक्षात्मक, इत्तिवृत्तात्मक आदि अनेक शैलियों का रूप दृष्टिगोचर होता है। मर्मस्पर्शिता इनके गद्य की प्रमुख विशेषता है।

FAQ ON Mahdevi Verma jiven parichay

महादेवी वर्मा की दो प्रमुख रचनाएं

इनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
काव्य संग्रह नीहार, रश्मि, नीरजा, यामा, दीपशिखा
संस्मरण अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएँ पथ के साथी, मेरा परिवार।

महादेवी वर्मा का जन्म कब हुआ था

श्रीमती महादेवी वर्मा का जन्म फ़रुखाबाद ( उ०प्र०) में 1907 ई० में हुआ था।