12th hindi varshik pariksha paper solution cg board 2022,कक्षा-12वी हिन्दी वार्षिक परीक्षा पेपर|छत्तीसगढ़ बोर्ड परीक्षा 2022, CG Board Class 12th Model Paper Solution, CGBSE 12th Hindi Important Questions
छत्तीसगढ़ बोर्ड परीक्षा कक्षा-12वी हिन्दी वार्षिक परीक्षा पेपर- हैलो दोस्तों आप सभी का स्वागत है हमारी वेबसाइट में और आज के इस नयी पोस्ट में हम वार्षिक परीक्षा 2022 की तैयारी और आप हमारी वेबसाइट के माध्यम से कक्षा-12वीं हिन्दी वार्षिक परीक्षा पेपर 2022 की तैयारी भी कर सकते हैं आपको हमारी वेबसाइट के माध्यम से सभी विषयों के महत्वपूर्ण प्रश्न और इनके उत्तर प्रदान किए जाएंगे
वार्षिक परीक्षा मे कितना सिलेबस आएगा??
सभी छात्रों के मन में यह सवाल है कि बोर्ड परीक्षा मे कितना सिलेबस आएगा जैसे कि आप सभी को पता होगा कि माध्यमिक शिक्षा मंडल ने हाल ही में एक नोटिस जारी किया गया है जिसमें बताया गया है कि कक्षा 9 वीं से लेकर 12 वीं तक की सभी कक्षों की वार्षिक परीक्षा प्रारम्भ होंगी अब हम बात करे कि बोर्ड परीक्षा मे कितना सिलेबस आएगा तो आप सभी कक्षाओं के सिलेबस को आसानी से हमारी वेबसाइट के माध्यम से डाउनलोड कर सकते हैं
बोर्ड परीक्षा 2022 का पैटर्न कैसा रहेगा??
बोर्ड परीक्षा मे पैटर्न प्रश्न क्रमांक 1 से 5 तक 32 वस्तुनिष्ठ प्रश्न होंगे।
सही विकल्प 06 अंक,
रिक्त स्थान 07 अंक,
सही जोड़ी 06 अंक,
एक वाक्य में उत्तर 07 अंक,
सत्य असत्य 06 अंक,
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कक्षा 12वीं विषय – हिन्दी
खण्ड क
प्रश्न क्रमांक 1 :- निम्नलिखित गद्याश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
“सिने जगत के अनेक नायक नायिकाओं, गीतकारों, कहानीकारों और निर्देशकों को हिन्दी के माध्यम से पहचान मिली हैं। यही कारण है कि गैर-हिन्दीभाषी कलाकार भी हिन्दी की ओर आए हैं। समय और समाज के उभरते सच को परदे पर पूरी अर्थवत्ता में धारण करने वाले ये लोग दिखावे के लिए भले ही अंग्रेजी के आग्रही हो, लेकिन दुनियादी और जमीनी हकीकत यही है कि इनकी पूँजी, इनकी प्रतिष्ठा का एकमात्र निमित्त हिन्दी ही है। लाखों करोड़ों दिलों की धड़कनो पर राज करने वाले ये सितारे फिल्म और भाषा के सबसे बड़े प्रतिनिधि हैं।
छोटे परदे के आम जनता के घरों में अपना मुकाम बनाया तो लगा हिन्दी आम भारतीय की जीवनशैली बन गई हमारे आद्य ग्रंथों रामायण और महाभारत को जब हिन्दी में प्रस्तुत किया गया तो सड़कों को कोलाहाल सन्नाटे में बदल गया। बुनियाद और हम लोग से शुरू हुआ सोप -आपेरा का दौर हो या सास बहू धारावाहिकों का, से सभी हिन्दी की रचनात्मकता और उर्वरता के प्रमाण हैं। कौन बनेगा करोड़पति से करोड़पति चाहे जो बने हों पर सदी के महानायक की हिन्दी हर दिल की धड़कन और हर धड़कन की भाषा बन गईं सुर और संगीत की प्रतियोगिताओं में कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र, असम, सिक्किम जैसे गैर हिन्दी क्षेत्रों के कलाकारों हिन्दी गीतों के माध्यम से पहचान बनाई ज्ञान गंभीर डिस्कवरी चैनल हो या बच्चों को रिझाने लुभाने वाला टॉम ऐड जेरी इनकी हिन्दी उच्चारण की मिठास और गुणवत्ता अद्भुत प्रभावी और ग्राहय है। धर्म, संस्कृति, कला, कौशल, ज्ञान विज्ञान सभी कार्यक्रम हिन्दी की संप्रेषणीयता के प्रमाण हैं।
प्रश्न: 1. गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
उत्तर – भारतीय सिनेमा एवं हिंदी अथवा हिंदी की संप्रेषणीयता।
- गैर हिन्दी भाषी कलाकारों के हिन्दी सिनेमा में आने का कोई एक कारण लिखिए।
उत्तर – गैर-हिंदी भाषी कलाकारों को हिंदी माध्यम से ही पहचान, प्रतिष्ठा एवं धन-संपत्ति मिली है।
- छोटा परदा से क्या तात्पर्य है? इसका आम जनजीवन की भाषा पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर – छोटा परदा यानि टेलीविजन इस कारण हिंदी आम भारतीयों के उपयोग की भाषा बन गई।
- कुछ बहुप्रचलित और लोकप्रिय धारावाहिकों के उल्लेख से लेखक क्या सिध्द करना चाहते है?
उत्तर – बहुप्रचलित और लोकप्रिय धारावाहिकों का प्रयोग करके लेखक हिंदी की रचनात्मकता और उर्वरता का प्रमाण देना चाहता है।
- ‘सदी का महानायक’ से लेखक का संकेत किस फिल्मी सितारे को ओर है और लोगों पर इनका क्या असर हुआ ?
उत्तर – सदी का महानायक से लेखक का संकेत श्री अमिताभ बच्चन से है। इनकी हिंदी हर दिल की धड़कन और हर धड़कन की भाषा बन गई ।
- फिल्म और टी वी ने हिन्दी के प्रचार-प्रसार में क्या भूमिका निभाई है? संक्षेप में लिखिए।
उत्तर – हिंदी उच्चारण की मिठास और गुणवत्ता अद्भुत प्रभावी और ग्राह्य है हिंदी संप्रेषणीय भाषा है। फिल्म और टी. वी. ने हिंदी के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । इसकी गुणवत्ता तथा सरलता का सफलतापूर्वक प्रयोग करते हुए विभिन्न कार्यक्रमों एवं कथा कहानियों के माध्यम से दोनों ने इसे घर घर तक पहुँचाया है।
- उच्चारण और भारतीय शब्दों में निहित उपसर्ग और प्रत्यय को छाँट कर लिखिए।
उत्तर – उपसर्गः – उत् प्रत्ययः – ईय ।

प्रश्न क्रमांक 2 :- निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए
“मेरे पाँव बहुत छोटे हैं धरती बहुत बड़ी है माँ,
मेरी उंगली थामे मेरे बिल्कुल पास खड़ी रह माँ
तेरा नेह कवच – कुण्डल है तेरा परस ढाल मेरी,
ऐसी थकन थका हूँ अबकी थकने लगी चाल मेरी
अंध – कूप में उतर रहा हूँ कैसी विकट घड़ी है माँ,
मेरी उंगली थामे मेरे बिल्कुल पास खडी रह माँ,
जब भी चाहा सुख से जी लूँ दुख ने आकर घेर लिया,
जितना अधिक सहा उतना ही नाम तुम्हारा टेट लिया
मरूस्थलों के तपते पथ में तू ही मेघ झड़ी है माँ,
मेरी उंगली थामे मेरे बिल्कुल पास खड़ी रही माँ
राहें जिसकी मंजिल होंगी उसको तो चलना ही होगा,
जो बसंत का अधिकारी है उसको तो जलना ही होगा,
ऋतु चक्र की हर बेला में तू ही पुष्प लही है माँ,
मेरी उंगली थामे बिल्कुल पास खड़ी रह माँ ।
प्रश्न 1. माँ के स्नेह को कवच कुण्डल क्यों कहा गया है?
उत्तर - माँ के स्नेह को सुरक्षा की भावना के कारण कवच कुंडल कहा गया है।
- विषम परिस्थितियों में माँ ही क्यों याद आती हैं?
उत्तर – माँ जन्म से हर पल अपने बच्चे को अपने पास रखती है अतः बच्चे का माँ से अत्यधिक जुड़ाव हो जाता है। अतः वह हर परिस्थिति को ही याद करता है। वह स्वयं को माँ की छत्रछाया में सुरक्षित महसूस करता है।
- ” मरूस्थलों के तपते पथ में तू ही मेघ झड़ी है माँ ” पंक्ति का भाव लिखिए।
उत्तर – ‘विषम परिस्थितियों में माँ का ही सहारा मिलता है।
- उन पंक्तियों को उद्धृत कीजिए जिनका भाव है- ” जीवन में विविध अनुभवों के बीच माँ का साथ फूलों जैसा सुहाना होता है। “
उत्तर – ऋतुचक्रों की हर वेला में तू ही पुष्प-लड़ी है माँ!
प्रश्न क्रमांक 3:- निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 150 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए –
- बिन पानी सब सून
- राष्ट्रीय एकता।
- साइबर अपराध का आतंक
- कामकाजी महिलाओं की समस्या
प्रश्न क्रमांक 4 :- अपने क्षेत्र में एक सड़क चौड़ा करने के बहाने आवश्यकता से अधिक पेड़ काटे गए हैं। इसकी विस्तृत जानकारी देते हुए वन एवं पर्यावरण विभाग को पत्र लिखिए ।
दिनांक
सेवा में,
श्रीमान प्रशासनिक अधिकारी,
वन एवं पर्यावरण विभाग,
रायपुर छत्तीसगढ़
महोदय,
मैं आपका ध्यान पेड़ों की अंधाधुंध कटाई को ओर दिलाना चाहता हूँ। पिछले दिनों नगर पालिका द्वारा शंकर नगर से शास्त्री नगर के बीच की सड़क को चौड़ा करने का कार्य चल रहा है। इसी प्रक्रिया में सड़क के दोनो ओर के पेड़ जो सड़क के रास्ते में आ रहे हैं, उन्हें काटा जा रहा है। मैंने कई दिनों से इस बात पर गौर किया है कि पेड़ काटने की आड़ में बहुत से ऐसे पेड़ भी काटे गये हैं जो कि रास्ते में नही आ रहे थे और जिनको काटा जाना आवश्यक नही था, लेकिन फिर भी उन्हें काटा गया। मुझे इसमें किसी प्रकार की अनियमितता की आंशका लग रही है। वन विभाग की तरफ से नियुक्त अधिकारी अपना कार्य ठीक प्रकार से नहीं कर रहे और लगता है वो भी इस अनियमितता में शामिल हैं।
आपसे विनम्र निवेदन है कि इस संदर्भ में शीघ्रातिशीघ्र कदम उठाकर दोषियों के खिलाफ़ आवश्यक कार्यवाई करने की कृपा करें।
धन्यवाद
भवदीय
अ,ब,स
अथवा
अपनी शाला के प्राचार्य को पत्र लिखिए जिसमें आपके सहपाठियों के प्रशंसनीय और साहसिक कार्य के लिए उन्हें सम्मानित करने का अनुरोध हो
सेवा में,
प्राचार्य,
शासकीय उत्तर माध्यमिक विद्यालय
रायपुर (छ.ग.) ।
विषय- सहपाठियों के साहसिक कार्य हेतु उन्हें सम्मानित करने हेतु पत्र ।
महोदय
निवेदन है कि बीते शुक्रवार को शाला अवकाश के बाद हम कुछ छात्र बस की प्रतीक्षा में खड़े थे। उसी समय एक काले रंग की कार आकर हमारे पास रुकी, उसमें से दो आदमी बाहर निकले। वे लोग बस स्टॉप के पास ही टहल रहे थे। वहाँ पर एक बच्ची खेल रही थी। मौका पाते ही वे उस बच्ची को उठा कर कार की तरफ बढ़े। बच्ची की चीख सुनकर हम कुछ समझ पाते उससे पूर्व हमारे दो सहपाठी छात्र बस्ता फेंककर उन आदमियों की तरफ दौड़े और उनसे भिड़ गये। बदमाशों ने बच्ची को छोड़ चाकू निकाल लिया किन्तु हमारे सहपाठियों ने अपने कराटे ज्ञान का प्रयोग किया। बदमाशों को पिटता देखकर विद्यालय के अन्य छात्र भी आ गये। भीड़ इकट्ठी होते देख ड्राइवर कार छोड़कर भाग गया। दोनों छात्रों ने बदमाशों से भिड़कर बड़े साहस और प्रशंसा का कार्य किया है। उन्होंने न केवल अपहरण की घटना को रोका बल्कि दो बदमाशों को भी पकड़वाया है ।
अतः आपसे अनुरोध है कि हमारे सहपाठियों रजत और निखिल को उनके साहसिक और प्रशंसनीय कार्य के लिए सम्मानित किया जाए।
आपका आज्ञाकारी शिष्य
कक्षा 12 वीं
दिनांक-
प्रश्न क्रमांक 5 :- निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
- पेज थ्री पत्रकारिता को क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – सनसनी, चकाचौंध या ग्लैमर फैलाने वाली पत्रकारिता को पीत पत्रकारिता या पेज-थ्री पत्रकारिता कहा जाता है। जैसे-भारत का ‘ब्लिट्स’ अखबार ।
- फ्लैश या ब्रेकिंग न्यूज किसे कहते हैं?
उत्तर – समाचार के बीच में कोई बड़ी खबर कम से कम शब्दों में तत्काल दर्शकों तक पहुँचाई जाए ,उसे फ़्लैश या ब्रेकिंग न्यूज़ कहते हैं |
- जनसंचार का सबसे पहला महत्त्वपूर्ण तथा सार्वजानिक विस्तृत माध्यम कौन सा है ?
उत्तर – समाचार-पत्र और पत्रिका ।
- संपादकीय किसे कहते हैं?
उत्तर – समाचार पत्र के संपादक के विचार। प्रत्येक समाचार-पत्र में संपादक हर रोज किन्ही ज्वलंत विषयों पर अपने विचार व्यक्त करता है। संपादकीय लेख, समाचार पत्र की नीति, सोच और विचार-धारा को प्रकट करता है। इस लेख के लिए संपादक स्वयं जिम्मेदार भी होता है।
प्रश्न क्रमांक 6 :- नाटक के मूल तीन तत्वो (अगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – (i) कथावस्तु – नाटक की कथावस्तु में वृहत्-विस्तार सहपूर्णता होती है। नाटक की कथावस्तु, ऐतिहासिक पौराणिक, धार्मिक, सामाजिक इत्यादि जैसे महत्वपूर्ण विषयों से सम्बन्धित होना अनिवार्य है।
(ii) चरित्र चित्रण – चरित्र चित्रण-नाटक के प्रभाविकता को नियत करती है साथ ही उद्देश्य को भी प्रभावी ढंग से प्रकाशित करने में अहम भूमिका अदा करती है।
(iii) संवाद-योजना- नाटक में संवाद-योजना का विशेष महत्व है, इसी से कथावस्तु-अनुकूल विविध पात्रों के व्यक्तित्व निर्धारण अथवा चरित्र-चित्रण में नाटककार की सफलता सन्निहिति होती है। साथ ही संदेश का मूलाधार भी बहुत कुछ संवाद-योजना में ही समाहित होता है।
अथवा
कहानी के प्रमुख तीन तत्वो को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर – कहानी के प्रमुख तत्व
- कथावस्तु कथावस्तु कहानी का आधार है इसमें यथासंभव आरंभ, चरम एवं समापन स्थिति की सम्पूर्ण उपस्थिति आवश्यक है।
- चरित्र चित्रण – पात्रों के व्यक्तित्व का सहज विकास और विश्वसनीयता ही चरित्र-चित्रण है, इस तथ्य की प्रभावी उपस्थिति कहानी में अति आवश्यक है ।
- संवाद योजना – संवाद योजना कहानी को रोचक व सजीव बनाती है। संवाद की भाषा चुस्त एवं अभिव्यंजन पूर्ण होनी चाहिए। घटना-क्रम व चरित्र विकास में भी संवाद योजना विशेष महत्व रखता है।
प्रश्न क्रमांक 7 – “दीवाली मेला या स्वतंत्रता दिवस पर रंगारंग कार्यक्रम विषय पर एक फीचर तैयार कीजिए।
अथवा
प्रकृति के रखरखाव के प्रति उदासीन आधुनिक मानव विषय पर फीचर लिखिए।
उत्तर – प्रकृति अनमोल है, लेकिन इसमें पौधों का अपना अलग मोल है। हर पेड़ मनुष्य का सच्चा मित्र है । पृथ्वी इसके बिना अधूरी है। पर्यावरण के कारण ही समस्त प्राणियों का अस्तित्व पनप पाता है। जल, पृथ्वी, आकाश, हवा तथा अग्नि इसके अंग है। प्रकृति और पर्यावरण के बीच बहुत गहरा संबंध है। ‘पर्यावरण’ प्रकृति की ही देन है। पर्यावरण पृथ्वी के चारों ओर के वातावरण को कहा जाता है। हमारे जीने के लिए आवश्यक तत्वों को बनाए रखने के लिए उसने समस्त बातों का ध्यान रखा है। पर्यावरण पृथ्वी को चारों ओर से ढककर हमारी रक्षा करता है। इस तरह प्रकृति हमारी हर छोटी-बड़ी आवश्कताओं को पूरा करती है। प्रकृति इस बात का ध्यान भी रखती है कि पृथ्वी पर हो रही हर छोटी बड़ी प्रक्रिया में संतुलन बना रहे। यदि प्रकृति के स्वरूप के साथ छेड़छाड़ की जाती है, तो इसका परिणाम हमें पर्यावरण में साफ़ तौर पर दिखाई देता है।
मनुष्य ने सदैव ही स्वयं के हित के लिए कार्य किए हैं। मनुष्य ने अनेक आविष्कार किए, अनेक ऐसी वस्तुओं का निर्माण किया जो हमारे लिए सोचना भी संभव नहीं था। मनुष्य ने अपनी इच्छाशक्ति के बल पर अपनी कल्पना को साकार किया। इस वैज्ञानिक युग ने जहाँ एक ओर हमें प्रगति व उन्नति के पथ पर अग्रसर किया है, वहीं दूसरी ओर उसने पर्यावरण का सबसे बड़ा नुकसान किया है। आधुनिक युग ने प्रकृति की जीवन-शैली को आघात पहुँचाया है। इस आघात से उत्पन्न घाव से उभरने के लिए मनुष्य को शायद ही प्रकृति द्वारा समय दिया जाए।
प्रश्न क्रमांक 8 : निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
कविता एक खिलना है फूलों के बहाने
कविता का खिलना भला फूल क्या जाने
बाहर भीतर
इस घर, उस घर
बिना मुरझाए महकने के माने
फूल क्या जाने ?
कविता एक खेल है, बच्चों के बहाने
बाहर भीतर
यह घर, वह घर सब घर, एक कर देने के माने
बच्चा ही जान।
प्रश्नोत्तर 1. बिना मुरझाए महकना कवि ने किसके संदर्भ में कहा है?
उत्तर – फूल तो खिलकर मुरझा जाते हैं और उनकी महक समाप्त हो जाती है। इसके विपरीत कविता भी मुरझाती नहीं। वह सदा ताजा बनी रहती है और उसकी महक बरकरार रहती है। एक अच्छी कविता सदा तरोताजा प्रतीत होती है। कविता का प्रभाव चिरस्थायी होता है।
- कवि के अनुसार कविता क्या है ?
उत्तर – कवि कविता को बच्चों के खेल के समान मानता है। जिस प्रकार बच्चे कहीं भी किसी भी तरीके से खेलने लगते हैं, उसी प्रकार कवि के लिए कविता शब्दों की क्रीड़ा है।
- बच्चों के बहाने कविता को एक खेल क्यों माना गया है?
उत्तर – कवि ने कविता को बच्चों के खेल के समान माना है। कविता की अपनी कोई सीमा नहीं होती है। इसी प्रकार बच्चों के खेल और सपनों की भी कोई सीमा नहीं होती है। वे अपने भावी जीवन की ओर उड़ान भरते हैं।
अथवा
” सबसे तेज बौछारें गयीं भादो गया
सवेरा हुआ
खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा
शरद आया पुलों को पार करते हुए
अपनी नयी चमकीली साइकिल तेज चलाते हुए
घंटी बजाते हुए जोर-जोर से
चमकीले इशारों से बुलाते हुए
पतंग उड़ाने वाले बच्चों के झुंड को
चमकील इशारों से बुलाते हुए और
आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए
कि पतंग ऊपर उठ सके –
दुनिया की सबसे हलकी और रंगीन चीज उड़ सके
दुनिया का सबसे पतला कागज उड़ सके
बॉस की सबसे पतली कमानी उड़ सके –
कि शुरू हो सक सीटियों किलकारियों और
तितलियों की इतनी नाजुक दुनिया
प्रश्नोत्तर :
- इस काव्यांश के कवि एवं कविता का नाम बताइए।
उत्तर – इस काव्यांश के कवि आलोक धन्वा है एवं कविता का नाम ‘पतंग ‘ है ।
- इस काव्यांश में प्रातः काल का वर्णन किस प्रकार हुआ है ?
उत्तर – कवि ने प्रातःकाल के सवेरे का वर्णन करते हुए उसे खरगोश की आँखों जैसा लाल बताया है। यह प्रातः काल शरद ऋतु का है, जो अपने चमकीले इशारों से बच्चों को आमंत्रित करता है।
3. तितलियों की नाजुक दुनिया से कवि का क्या आशय हैं?
उत्तर – तितलियों की नाजुक दुनिया से कवि का सामान्य अभिप्राय आसमान में उड़ती रंग-बिरंगी पतंगों से है। पतंगें तितलियों की तरह ही विविध रंगों वाली है और वे भरे आसमान में इधर-उधर उड़ रही है। इस पद का विशेष अर्थ कवि द्वारा दी गई उपमा से है। तितली रूपी बच्चों की नाजुक दुनिया एक नई उमंग एवं उल्लास से शुरू होती है।
प्रश्न क्रमांक 9 :- निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए
” प्रातः नभ था बहुत नीला शंख जैसे
भोर का नभ
राख से लीपा हुआ चौका
(अभी गीला पड़ा है)
बहुत काली सिल ज़रा से लाल केसर से कि जैसे धुल गई हो
प्रश्नोत्तर
- काव्यांश में प्रयुक्त अलंकार को पहचान कर लिखिए ?
उत्तर – आकाश को ‘नीले शंख जैसा’ और ‘राख के लिये चौका’ जैसा बताने में उत्प्रेक्षा अलंकार है।
- काव्यांश के भाव सौन्दर्य को स्पष्ट कीजिए ?
उत्तर – इस काव्यांश में प्रातःकालीन नभ के सौंदर्य का प्रभावी चित्रण किया गया है। वह राख से लीपे हुए चौके के समान प्रतीत होता है। उसमें ओस का गीलापन है तो क्षण कम बदक्षणे रंग भी हैं।
अथवा
हो जाए न पथ में रात कहीं मंजिल भी तो है दूर नहीं
यह सोच थका दिन का पंथी भी जल्दी जल्दी चलता है।
दिन जल्दी जल्दी ढलता है।
- प्रस्तुत काव्यांश की रचना किस छंद में हुई है ?
(नाम लिखकर उस छंद की परिभाषा लिखिए)
उत्तर – प्रस्तुत काव्यांश की रचना गीत छंद में हुई है। इसमें प्रवाह है तथा लय और तुक के कारण संगीतात्मकता है। यह एक मुक्तक छंद रचना है।
- काव्यांश में दो अलंकार है, उन्हें पहचान कर उनके नाम लिखिए।
उत्तर – पुनरुक्ति अलंकार,
प्रश्न क्रमांक 10: निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
- बादल राग ‘ कविता में अस्थिर सुख पर दुःख की छाया पंक्ति में ” दुःख की छाया ” किसे कहा गया हैं और क्यों ?
उत्तर – कवि बादल को संबोधित करते हुए कहता है कि हे क्रांति दूत रूपी बादल। तुम आकाश में ऐसे मंडराते रहते हो जैसे पवन रूपी सागर पर नौका तैर रही हो। छाया ‘उसी प्रकार पूंजीपतियों के वैभव पर क्रांति की छाया मंडरा रही है इसीलिए कहा गया है ‘अस्थिर सुख पर दुख की छाया’।
- पेट की आग का शमन ईश्वर (राम) भक्ति का मेघ ही कर सकता है। तुलसी की यह काव्य सत्य, क्या इस समय का भी युग सत्य है ? तर्क संगत उत्तर दीजिए।
उत्तरः- तुलसी ने कहा है कि पेट की आग का शमन ईश्वर (राम) भक्ति का मेघ ही कर सकता है। मनुष्य का जन्म, कर्म, कर्म-फल सब ईश्वर के अधीन हैं। निष्ठा और पुरुषार्थ से ही मनुष्य के पेट की आग का शमन हो सकता है। फल प्राप्ति के लिए दोनों में संतुलन होना आवश्यक है। पेट की आग बुझाने के लिए मेहनत के साथ-साथ ईश्वर कृपा का होना जरूरी है।
- शायर के अनुसार खुद का परदा खोलने से क्या आशय है ?
उत्तर – खुद का परदा खोलने का तात्पर्य है कि अपना असली चेहरा दूसरों को दिखा देते हैं। शायर कहता है कि जब हम किसी की बुराई कर रहे होते हैं, तो हम यह भूल जाते हैं कि हम सामने वाले को अपना असली चेहरा दिखा देते हैं। उससे पहले हमारे बारे में कोई भी राय क्यों न कायम की हो।
प्रश्न क्रमांक 11 :- निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए
एक एक बार मुझे मालूम होता है कि यह शिरीष एक अद्भुत अवधूत है। दुःख हो या सुख, वह हार नहीं मानता। न ऊधो का लेना न मधो का देना। जब धरती और आसमान जलते रहते हैं, तब भी यह हजरत न जाने कहाँ से अपना रस खींचते रहते हैं। मौज में आठो याम मस्त रहते हैं। एक वनस्पति शास्त्री ने मुझे बताया है कि यह उस श्रेणी को पेड़ है जो वायुमण्डल से अपना रस खींचता है जरूर खींचता होगा। नहीं तो भयंकर लू के समय इतने कोमल तंतु जाल और ऐसे सुकुमार केसर को कैसे उगा सकता था? अवधूतों के मुँह से ही संसार की सबसे सरस रचनाएँ निकली है। कबीर बहुत कुछ इस शिरीष के समान ही थे. मस्त और वेपरवा पर सरस और मादक कालिदास भी जरूर अनासक्त योगी रहे होंगे।”
- लेखक ने शिरीष को अद्भुत अवधूत क्यों कहा है?
उत्तर – शिरीष को एक अद्भुत अवधूत (संन्यासी) बताया गया है इसका कारण यह है कि शिरीष सुख-दुःख में एक समान बना रहता है। वह किसी भी स्थिति में हार नहीं मानता।
- शिरीष की यह जिजीविषा हमें क्या प्रेरणा देती है?
उत्तर – शिरीष का पेड़ हमें प्रेरणा देता है कि कोलाहल व संघर्ष से भरे जीवन-स्थितियों में भी अविचल कर जिजीविषु बना रहा जा सकता है।
- लेखक ने कबीर को शिरीष के समान क्यों कहा है?
उत्तर – कबीर बहुत कुछ शिरीष के समान मस्त, बेपरवाह, सरस और मादक थे। तभी उनके मुँह से सरस रचनाएँ निकली थीं।
- लेखक किस कवि को कवि मानते है?
उत्तर – लेखक कबीर को कवि मानते हैं ।
अथवा
विज्ञों का कथन है निबंध लिखने के पहले उसकी रूपरेखा बना लेनी चाहिए। अतएव सबसे पहले मुझे दूर के ढोल सुहावने की रूपरेखा बनानी है। मैं सोच ही नहीं सकता कि इस विषय की कैसी रूपरेखा है। निबंध लिख लेने के बाद मैं उसका सारांश कुछ ही वाक्यों में भले ही लिख दूँ पर निबंध लिखने के पहले उसका सार दस पाँच शब्दों में कैसे लिखा जाए ? क्या सचमुच हिन्दी के सब विज्ञ लेखक पहले से अपने अपने निबंधों के लिए रूपरेखा तैयार कर लेते हैं? ए.जी. गार्डिनर को तो अपने लेखों के शीर्षक बनाने में ही सबसे अधिक कठिनाई होती है। उन्होंने लिखा है कि मैं लेख लिखता हूँ शीर्षक देने का भार मैं अपने मित्र पर छोड़ देता हूँ। उन्होंने यह भी लिखा है कि शेक्सपीयर को भी नाटक लिखने में जितनी कठिनता न हुई होगी उतनी कठिनता नाटकों के नामकरण में हुई होगी। तभी तो घबराकर नाम न रख सकने के कारण उन्होंने अपने एक नाटक का नाम रखा “जैसा तुम चाहो “। इसलिए मुझसे तो यह रूपरेखा न होगी।”
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